हर बीते लम्हे को बनाकर याद कुछ अपनों के लिए उनकी ज़िंदगी में। हर बीते लम्हे को बनाकर याद कुछ अपनों के लिए उनकी ज़िंदगी में।
जो तुम्हें मिली बस छाया थी जो तुम्हें मिली बस छाया थी
मिटा दिया संस्कार घर का वह, मिटा मोह और माया रे बचपन से जिसे पाला मैं, वह समझा आज पराया रे मिटा दिया संस्कार घर का वह, मिटा मोह और माया रे बचपन से जिसे पाला मैं, वह समझ...
मैं जीवन कुम्भ, कुम्भ से भरने आया। मैं जीवन कुम्भ, कुम्भ से भरने आया।
भाव बिभोर हृदय हो जाये भाग्य सदा उदय हो जाये । भाव बिभोर हृदय हो जाये भाग्य सदा उदय हो जाये ।
देकर मुझको निर्मल काया, भेज दिया तुमने इस जग में, देकर मुझको निर्मल काया, भेज दिया तुमने इस जग में,